Monday, March 11, 2024

भक्ति और आसक्ति

यह कहा जाता है के राम भक्त हनुमान जी को अपने बल और क्षमता का ज्ञान नहीं था। मगर क्या यही नहीं होना चाहिए था? अगर तूणीर में रखे बाण को यह ज्ञान हो के वह कितना घातक है, तो क्या वह यूँ ही पड़े इंतज़ार कर पायेगा के कब तूणीर धारी को आवश्यकता पड़ेगी और बाण का प्रयोग होगा। भक्ति और आसक्ति का क्या यही सच्ची परिभाषा नहीं है, के भक्त बिना किसी अहँक के प्रभु के चरणों में पड़ा रहे।  प्रभु को तुम्हारी क्षमताओं का तुमसे ज़्यादा ज्ञान है, उन सही स्थान और समय का पता है, जब तुम्हारे बलों कि आवश्यकता होगी। परमभक्त हनुमान जी का जीवन हमें भक्ति और आसक्ति का परम ज्ञान देती है। तुम्हे कितना भी लगे के तुम्हे ज्ञान है अपनी ताकतों का, पर ऐसा नहीं है।  प्रभु ही है जिन्हे तुम्हारी असल सफर और उससे बटोरे क्षमताओं का सम्पूर्ण ज्ञान है।  तथा आपकी प्रभु पर आसक्ति ही आपके सुख का सही मार्ग है।  

प्रोनिल सेनगुप्ता 
१२ मार्च २०२४