Wednesday, December 11, 2013

Zindagi hai badi khoobsurat!!!

आनन् फानन में कुछ शब्दों  का बयां था
कुछ लोगो से मुठभेढ़ कुछ ज़िन्दगी से जंग था
मानो के बहुत जी चुके थे
मौत के बाद एक नई शुरुआत की इल्तेजा थी
ऐसे ही तनी भोह के साथ उस रोज़
चला था घर से
चलते ही अगले मोड़ पे मिला एक तिपहिया
मुड़ा ऐसे के जिगर मुह तक आ गया
गुस्सा तो था ही और मेरा दुपहिया भिड़ते बचा
गुर्रा के जैसे ही देखा मैंने उसे
वोह जानो ठाहके मारने लगा
मानो कह रहा था के "क्यों अभी न मरना तुझे"
मै भी हस पड़ा और हुआ अहसास
क्रोध में चाहे कितनी लगे ज़िन्दगी बेमानी
मौत  देखकर है फटती सबकी
यों ही फिर मंज़र बदलने लगा
लगा जैसे पड़ोस के मंदिर के बाबा
आ सवार हो गये पीछे
एकाएक सब दूर दूर के पोस्टर के लोग लगे चलने
कोई कुकर ले पूछ रही "क्या बनाना है?"
तो कोई सूट पहन लगा नाचने
मानो ज़िन्दगी एक  पल में दुविधा
तो दूसरे पल लगा हँसाने
यह पहेली चाहे जो भी हो
मगर ज़िन्दगी है बड़ी खूबसूरत

No comments:

Post a Comment